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एनटीपीसी सीपत में त्रिपक्षीय बैठक, विधायक लहरिया सहित जनप्रतिनिधियों ने साधा प्रबंधन पर निशाना..तीन माह में इन भूस्थापितों को नौकरी देने सहित कई मांगों पर बनी सहमति..खबर पढ़कर जानिए पूरा मामला!

बिलासपुर: (प्रांशु क्षत्रिय) एनटीपीसी सीपत क्षेत्र की समस्याओं को लेकर क्षेत्रीय सर्वसमाज सर्वदलीय संघ सीपत ने दस दिन पहले कलेक्टर संजय अग्रवाल से मुलाकात कर 33 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा था। इस सिलसिले में कलेक्टर की सहमति से सोमवार को एनटीपीसी प्रबंधन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई। बैठक में एनटीपीसी प्रबंधन की ओर से जेपी सत्यकाम, शैलेश चौहान और प्रवीण रंजन भारती उपस्थित रहे, वहीं प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर श्याम सुंदर दुबे, एसडीएम प्रवेश पैकरा और तहसीलदार सोनू अग्रवाल शामिल हुए। जनप्रतिनिधियों में मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया के साथ जिला पंचायत सभापति प्रतिनिधि चंद्रप्रकाश सूर्या, जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र धीवर, भाजपा सीपत मंडल अध्यक्ष दीपक शर्मा, भाजपा सीपत मंडल उपाध्यक्ष अभिलेष यादव, मन्नू ठाकुर, राज्यवर्धन कौशिक, मदन लाल पाटनवार, कृष्ण कुमार राठौर, शत्रुहन लास्कर, हेमंत यादव, नूर मोहम्मद, जनपद सदस्य देवेश शर्मा, मनोज खरे, रेवाशंकर साहू, जनपद सदस्य प्रतिनिधि देवी कुर्रे, प्रभावित गांव के सरपंच में सीपत सरपंच प्रतिनिधि योगेश वंशकार, जांजी राजेंद्र पाटले, गतौरा नरेंद्र वस्त्रकार, देवरी रूपचन्द्र रात्रे, रॉक विक्रम सूर्यवंशी, एनल घृतलहरे, अशोक सिंह, शिव यादव, राजू सूर्यवंशी, हरीश गुप्ता, संतोष साहू सहित संघ के अन्य सदस्य मौजूद रहे। बैठक के दौरान विधायक दिलीप लहरिया ने एनटीपीसी प्रबंधन पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रभावित आठ गांवों का विकास अब तक नहीं हो पाया है। भूस्थापितों को जमीन चाहे एक डिसमिल ही क्यों न दी गई हो, अगर वे योग्य हैं तो उन्हें भी नौकरी मिलनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि शेष बचे भूस्थापितों में से 222 लोगों को तीन माह के भीतर नौकरी दी जानी चाहिए, अन्यथा आंदोलन की राह अपनाई जाएगी। विधायक ने कहा कि एनटीपीसी प्रबंधन लगातार क्षेत्रवासियों को गुमराह कर रहा है और सीएसआर की राशि का सही उपयोग नहीं हो रहा। सीएसआर से 95 प्रतिशत काम होने का दावा किया जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर तस्वीर बिल्कुल अलग है। लहरिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि एनटीपीसी से निकलने वाली ओवरलोड राखड़ गाड़ियों को तीन माह के भीतर बंद नहीं किया गया तो उनके नेतृत्व में एनटीपीसी गेट पर विशाल आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने हाल ही में स्टेज-5 में मेंटेनेंस के दौरान हुई दुर्घटना का भी उल्लेख किया, जिसमें दो श्रमिकों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि प्रबंधन द्वारा मृतकों के परिजनों को पांच या दस लाख रुपए का मुआवजा देकर खानापूर्ति करना दुर्भाग्यजनक है। बिना स्लिप काटे गाड़ियां बाहर नहीं निकलेंगी, इसका सख्ती से पालन होना चाहिए, अन्यथा प्लांट बंद करने की चेतावनी भी दी गई। विधायक ने बताया कि इस मुद्दे को तीन बार विधानसभा में उठाया जा चुका है, बावजूद इसके एनटीपीसी की मनमानी जारी है। उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टरों को काम में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, बाहरी लोगों को अवसर देना गलत है और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। बैठक में अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सीएसआर फंड का उपयोग पारदर्शिता के साथ होना चाहिए। अब तक सीएसआर मद में कितनी राशि खर्च हुई और कितना शेष है, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग रखी कि सीएसआर से बने सामुदायिक भवनों के रखरखाव के लिए भी अलग से राशि उपलब्ध कराई जाए। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि जब भी सरकार को नए प्लांट या किसी परियोजना के लिए जमीन की आवश्यकता हो, तो लोग बिना हिचकिचाहट अपनी जमीन दें, इसके लिए जरूरी है कि पुराने वायदे पूरे किए जाएं और प्रभावित क्षेत्रों का विश्वास जीतने वाला कार्य किया जाए। इस दौरान एसडीएम प्रवेश पैकरा ने सुझाव दिया कि प्रभावित गांवों के जनप्रतिनिधि पांच वर्ष की कार्ययोजना तैयार करें और प्राथमिकता के आधार पर विकास कार्य एनटीपीसी से कराएं। तहसीलदार सोनू अग्रवाल ने भी आश्वासन दिया कि पंचायतों को काम दिलाने का प्रयास किया जाएगा और कार्य पूर्ण होने के बाद पंचायत एजेंसी को भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। एनटीपीसी प्रबंधन की ओर से बताया गया कि हर साल सात से आठ करोड़ रुपये सीएसआर मद के लिए दिए जाते हैं। अब स्टेज-3 शुरू होने से राशि और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर प्राथमिकता वाले कार्यों को शीघ्र कराया जाएगा। लंबी चर्चा और बहस के बाद कुछ मुद्दों पर सहमति बनी। तय हुआ कि तीन माह के भीतर पूर्व में पत्र व्यवहार किए गए 1 एकड़ से ऊपर भूमि वाले भूस्थापितों को स्कूटनी कर नौकरी दी जाएगी। नए टेंडरों में स्थानीय मजदूरों को प्राथमिकता दी जाएगी। राखड़ से भरी ओवरलोड गाड़ियां बाहर नहीं निकलेंगी। सभी गाड़ियों को सिस्टम जनरेटेड स्लिप के साथ ही प्लांट से बाहर जाने की अनुमति होगी। गाड़ियों में सही तरीके से तारपोलिन ढका और बांधा होगा तथा चेकपोस्ट से बाहर निकलने से पहले उनकी धुलाई और सीसीटीवी जांच अनिवार्य होगी। एनटीपीसी के तीन वेट ब्रिज में से दो शुरू कर दिया गया है जबकि तीसरा सितंबर तक चालू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही सीएसआर मद से प्रभावित गांवों में सालभर होने वाले विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। ग्राम पंचायतों को भी एजेंसी बनाकर कार्य कराने का प्रस्ताव जिला प्रशासन के माध्यम से एनटीपीसी को भेजा जाएगा, जिस पर विचार किया जाएगा।

एनटीपीसी के अधिकारी वासने को हटाने की उठी मांग…….

बैठक में एक और मुद्दा गरमा गया जब विधायक लहरिया और संघ के सदस्यों ने एनटीपीसी के एजीएम अनंत वासने को हटाने की मांग उठाई। आरोप लगाया गया कि उनका व्यवहार जनप्रतिनिधियों के प्रति अपमानजनक है और राखड़ प्रबंधन क्षेत्र में उनकी मनमानी असहनीय है। विधायक ने कहा कि यदि उन्हें हटाया नहीं गया तो वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे। इस पर प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। बैठक समाप्त होने के बाद संघ और जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट कर दिया कि अब मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी। अगर तय समय सीमा में वादों पर अमल नहीं हुआ तो आंदोलन की रणनीति अपनाई जाएगी।

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