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NTPC सीपत हादसा; अब दो मजदूरों की मौत, नौ घायल…प्रबन्धन की इस लापरवाही ने ली 2 मासूम युवाओं की जान…खबर पढ़कर जानिए पूरा मामला!

बिलासपुर: (प्रांशु क्षत्रिय) एनटीपीसी सीपत में बुधवार को एक बड़ा हादसा हो गया, जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। प्लांट के पांचवें यूनिट में 22 मीटर ऊंचाई पर स्थित चौथे फ्लोर में मरम्मत कार्य के दौरान लोहे की भारी प्लेट और उस पर रखे 45 टन वजनी बास्केट अचानक नीचे गिर पड़े। हादसे के वक्त वहां काम कर रहे कुल 10 मजदूर इसकी चपेट में आ गए, जिनमें से एक मजदूर श्याम साहू की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई जबकि नौ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायलों को तुरंत रेस्क्यू कर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। हादसे की खबर मिलते ही एनटीपीसी परिसर और आसपास के गांवों में हड़कंप मच गया। मृतक की पहचान 27 वर्षीय श्याम साहू पिता नारायण साहू निवासी पोड़ी (सीपत) के रूप में हुई है। घायल मजदूरों में आशीष कंवर, शत्रुघ्न कंवर, आयुष यादव, अनिल कश्यप, अशोक बिंझवार, दिलेश्वर कंवर, जीतेंद्र कंवर, संत साहू और प्रताप सिंह कंवर शामिल हैं। इनमें से तीन की हालत गंभीर बनी हुई थी। हादसे के बाद मृतक श्याम साहू के परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हो उठे। गुस्साए लोगों ने एनटीपीसी मटेरियल गेट के सामने बिलासपुर-कोरबा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। परिजनों ने मृतक के परिवार को उचित मुआवजा, एक सदस्य को स्थायी नौकरी और सभी घायलों के समुचित इलाज की मांग की। करीब छह घंटे तक चला चक्काजाम तब जाकर समाप्त हुआ जब एनटीपीसी प्रबंधन ने सभी मांगों को मानते हुए लिखित आश्वासन दिया। प्रबंधन ने श्याम साहू के परिजनों को दस लाख रुपये का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, हर महीने मजदूरी के बराबर वेतन और तत्काल 50 हजार रुपये की नकद सहायता देने का वादा किया। साथ ही घायलों के इलाज का पूरा खर्च भी उठाने की बात कही गई। हालांकि इसी बीच बुधवार रात एक और बुरी खबर सामने आई। गंभीर रूप से घायल प्रताप सिंह कंवर उम्र 22 वर्ष पिता बसंत कंवर निवासी पोड़ी की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। इस तरह एक ही गांव के दो युवा मजदूरों की जान चली गई, जिससे गांव में मातम छा गया। प्रताप सिंह के परिजनों को भी एनटीपीसी द्वारा श्याम साहू के परिवार के समान मुआवजा और नौकरी देने का आश्वासन दिया गया है।

ओवरलोडिंग और अकुशल मजदूर बने हादसे की बड़ी वजह……

श्रमिकों ने बताया कि जिस प्लेटफॉर्म पर काम चल रहा था उसकी क्षमता 6 टन थी, लेकिन उस पर 40-45 टन का सामान रख दिया गया था। 1-1 टन की 40 बास्केट प्लेट पर रखी गई थी। साथ ही कुशल मजदूरों की जगह अकुशल श्रमिकों से काम कराया जा रहा था, ताकि मजदूरी बचाई जा सके। ये लापरवाहियां हादसे की मुख्य वजह बनीं।

मजदूरों का शोषण: 250 रुपए में 8 घंटे की मज़दूरी, कोई सुरक्षा नहीं!

हादसे में घायल श्रमिकों ने बताया कि उन्हें सिर्फ 250 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी दी जाती थी, जबकि अन्य वर्करों को 500 रूपये से अधिक। श्रमिकों के मुताबिक एनटीपीसी में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है, सेफ्टी सुपरवाइजर के द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता। श्रमिको ने यह। भी बताया कि हम सभी गोरखपुर एपीएच कंपनी के तहत काम कर रहे थे हादसे के बाद कंपनी के सभी जिम्मेदार लोग गायब हो गए।

पत्रकारों की एंट्री पर रोक, गेटों पर तैनात किए गए सुरक्षा बल……..

हादसे की सच्चाई बाहर न आ जाए, इस डर से एनटीपीसी प्रबंधन ने सभी गेटों पर सुरक्षा बल तैनात कर दिए और पत्रकारों को प्लांट के अंदर जाने से रोक दिया गया।

वादाखिलाफी का अड्डा बना एनटीपीसी, 25 साल बाद भी नहीं बदला हाल……..

भूमि अधिग्रहण के वक्त विकास, रोजगार और सुविधाओं के बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन आज भी क्षेत्र में बेरोजगारी, अविकास और आक्रोश है। किसानों को मुआवजा नहीं, युवाओं को रोजगार नहीं और मजदूरों को जीवन की गारंटी नहीं..यही आज की एनटीपीसी की सच्चाई है।

यह कोई पहला मौका नहीं है…. जब एनटीपीसी सीपत हादसे को लेकर चर्चा में आया हो। विगत वर्षों में भी यहां ऐसे कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही जस की तस बनी हुई है। वहीं स्थानीय लोग एनटीपीसी के वादाखिलाफी को लेकर पहले से ही नाराज हैं। जमीन अधिग्रहण के समय विकास और रोजगार के बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन आज तक वे पूरे नहीं हुए। इलाके में बेरोजगारी चरम पर है, ग्रामीणों को न तो स्थायी रोजगार मिला और न ही अधिग्रहित भूमि का उचित उपयोग और मुआवजा। इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर देश की सबसे बड़ी बिजली परियोजनाओं में शामिल एनटीपीसी सीपत में सुरक्षा व्यवस्था कब दुरुस्त होगी? क्या मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं? और क्या प्रबंधन हादसे के बाद ही जागेगा? यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि प्रबंधन की गंभीर लापरवाही और मानवीय संवेदनहीनता का परिणाम है।

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