बिलासपुर! ऑनलाइन गेम में पश्चिम बंगाल की लड़की से हुआ प्यार..सर्वमंगला मंदिर में रचाई शादी, पत्नी ने छोड़ दिया साथ! खबर पढ़कर जानिए हाईकोर्ट का फैसला…….

बिलासपुर: (प्रांशु क्षत्रिय) ऑनलाइन गेम के जरिए दोस्ती, फिर प्यार और शादी तक पहुंची एक प्रेम कहानी का अंत कानूनी लड़ाई में हुआ। कोरबा के युवक और पश्चिम बंगाल की युवती ने प्रेम विवाह किया, लेकिन कुछ समय बाद युवती ने पति का साथ छोड़ दिया और अपने माता-पिता के पास लौट गई। युवक ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया कि उसकी पत्नी को जबरन बंधक बनाकर रखा गया है। सुनवाई के दौरान युवती ने साफ कहा कि वह अपनी मर्जी से माता-पिता के साथ रह रही है। इस पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि माता-पिता के साथ रहना अवैध हिरासत नहीं माना जा सकता और युवक की याचिका खारिज कर दी। जानकारी के अनुसार कोरबा निवासी शंकर गवेल और पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की युवती की पहचान साल 2023 में एक ऑनलाइन गेम के जरिए हुई थी। पहले दोनों दोस्त बने, फिर बातचीत बढ़ी और रिश्ता प्यार में बदल गया। उस वक्त युवती नाबालिग थी। दोनों ने तय किया कि बालिग होने के बाद शादी करेंगे। नवंबर 2024 में युवती ने युवक को बताया कि उसके माता-पिता उसकी मर्जी के खिलाफ शादी करने का दबाव डाल रहे हैं। उसने शंकर से शादी करने और उसे अपने साथ ले जाने को कहा। इस पर शंकर 26 नवंबर को इस्लामपुर पहुंचा और युवती को अपने साथ कोरबा ले आया।
सर्वमंगला मंदिर में की शादी, लेकिन ज्यादा दिन नहीं चला रिश्ता………
7 दिसंबर को कोरबा के सर्वमंगला मंदिर में दोनों ने शादी कर ली। युवक ने युवती को सिंदूर लगाया, मंगलसूत्र पहनाया और वरमाला डालकर विवाह संपन्न किया। इसके बाद दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रहने लगे। कुछ समय बाद 4 जनवरी को युवती की मां ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी। पुलिस जांच में कोरबा तक पहुंची और दोनों को थाने बुलाया गया। वहां युवती ने अपने माता-पिता से बात की और उनके साथ जाने की इच्छा जताई। पत्नी के जाने से शंकर परेशान हो गया। उसे लगा कि युवती को जबरन रोक लिया गया है। उसने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया कि उसकी पत्नी वयस्क है और उसने अपनी मर्जी से शादी की थी, लेकिन उसके माता-पिता जबरन उसे बंधक बना रहे हैं। याचिका में युवक ने युवती का जन्म प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया, जिससे साबित हुआ कि वह बालिग है। उसने यह भी दावा किया कि युवती पर उसके माता-पिता जबरन दूसरी शादी करने का दबाव बना रहे हैं।
हाईकोर्ट का फैसला– ‘माता-पिता के साथ रहना अवैध हिरासत नहीं’…….
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट में युवती ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह अपनी मर्जी से माता-पिता के साथ रह रही है और किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब युवती खुद अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है, तो इसे अवैध हिरासत नहीं माना जा सकता। साथ ही याचिका दायर करने के लिए युवती ने पति को कोई अधिकृत अधिकार भी नहीं दिया था। इस आधार पर हाईकोर्ट ने युवक की याचिका को खारिज कर दिया।